–––पशु धन–––––
आपस में क्या लड़ना लड़ाना,
अपनों से क्या डरना डराना,
अच्छा नहीं आपस में उलझना उलझाना,
ये भी अच्छा नहीं अपनों को धमकाना,
दोनों दूध में शक्कर की तरह घुले मिले,
कभी किसी रहे नहीं शिकवे गीले,
शिवा राणा पर कभी हो सकता नहीं क्रुद्ध,
दो भाईओ के बीच शोभा नहीं देता वाक् युद्ध,
प्यार से समझना है,प्यार से ही समझाना है,
घी डालकर आग में हमें आग नहीं बढ़ाना है,
पशुधन देश की पूंजी है,देश का
कीमती खजाना है,
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई सबको
मिलकर इसे बचाना है,
क्योकि पशु तो सच्चे मित्र हमारे है,
मानव जीवन के ये तो सच्चे सहारे है,
धर्म नाम पर न सही,अपना धर्म
समझकर सबको फर्ज निभाना है,
इक दूजे के धर्म का सबको मान बढ़ाना है,
आओ सबसे क्षमा याचना करके
एक दूजे को गले लगाएं,
कोई भी किसी हाल में इसे प्रतिष्ठा
का प्रश्न नहीं बनाएं,
आने वाली पीढ़ियो की खातिर केवल
लक्ष्य एक बनाएं,
अहिंसा परमोधर्म अपनाकर हम सब
पशुधन यहाँ बचाएं।
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