भरोसा तेरा एक पल का नहीं और नखरे तेरे मौत से भी ज्यादा ।।

एक कब्र पर लिखा था...
"किस को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो..
जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थे,
और दफनाने वाले भी अपने थे..

नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है.!.
लोग "रूलाना" नहीं छोडते,
और हम "हसना" नहीं छोडते..!!..

"हमने अपने नसीब से ज्यादा अपने दोस्तो पर भरोसा रखा है.
क्युंकि
नसीब तो बहुत बार बदला है,
लेकिन मेरे दोस्त अभी भी वही है!"

न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला।।
पेड़ सुखा तो परीन्दो ने ठिकाना बदला....

 वाह रे ज़िन्दगी ! भरोसा तेरा एक पल का नहीं और नखरे तेरे मौत से भी ज्यादा ।।

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